बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 राजनीति विज्ञान बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 राजनीति विज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 राजनीति विज्ञान : लोक प्रशासन
प्रश्न- राजनीतिज्ञ एवं प्रशासक के मध्य अन्तर लिखिए।
उत्तर -
राजनीतिज्ञ और प्रशासन के समबन्धों पर विचार करते समय वास्तव में किसी भी अतिवादी दृष्टिकोण से बचते हुए दोनों के बीच सन्तुलन की स्थापना की जानी चाहिए। राजनीति और राजनीतिज्ञों को प्रशासन के व्यापक उद्देश्यों की परिभाषा और राजनीतिक सत्ता की प्राप्ति की चेष्टा तक ही सीमित रहना चाहिए। यह राजनीतिक सत्ता ही प्रशासन की चालक शक्ति है और प्रशासकों का कार्यक्षेत्र नीतियों के निर्माण के लिए तथ्य व सूचनायें जुटाने, सुझाव देने, आलोचनाएँ करने तथा उनके निर्माण के पश्चात् उनको क्रियान्वित करने तक ही होना चाहिए। जब तक यह सिद्धान्त बुनियादी रूप में मान्य है कि नीतियों के विषय में अन्तिम निर्णय सत्ताधारी राजनीतिज्ञों' के हाथों में रहेगा तब तक लोकतन्त्र को किसी प्रकार का कोई खतरा नहीं है और जब तक राजनीतिज्ञ यह स्वीकार करने के लिए तैयार रहता है कि वह नीतियों के क्रियान्वयन के विषय में विशेषज्ञ नहीं है, तब तक प्रशासन को भी किसी प्रकार के अतिक्रमण का भय नहीं है। यह स्वीकार किया जा सकता है कि दोनों के बीच कुछ उभयनिष्ठ क्षेत्र भी है और राजनीतिज्ञ एवं प्रशासक के कार्यक्षेत्रों के मध्य एक निश्चित विभाजक रेखा खींचना संभव नहीं है। इतना ही नहीं, कुछ क्षेत्रों में विशेष प्रकार के ऐतिहासिक तथ्यों और परम्पराओं के कारण से उभयनिष्ठ क्षेत्र अधिक विस्तृत हो सकते हैं परन्तु इस आधार पर राजनीति और प्रशासन के भेद को पूरी तरह समाप्त नहीं किया जा सकता है। स्वस्थ परम्पराओं का निर्माण करने के लिए दोनों के मध्य भेद की उपेक्षा करने के स्थान पर उसे ध्यान में रखना अधिक लाभदायक होगा।
राजनीति और प्रशासन के बीच व्यवहारिक व्यवस्था के विकास में स्वस्थ परम्पराएँ प्रभावशाली सिद्ध होती है। दोनों परस्पर सहयोग करते हुए सम्पर्क की सम्भावना को टाल सकते हैं। ब्रिटेन की व्यवस्था इसका बड़ा अच्छा उदाहरण है। वहाँ मन्त्रिगण अपने अधीनस्थ प्रशासकीय अधिकारियों द्वारा अपने, विचारों की मुख्य अभिव्यक्ति को न केवल सहन करते हैं बल्कि उसे आवश्यक भी मानते हैं। दूसरी ओर प्रशासकीय अधिकारी भी अपने राजनीतिज्ञ अध्यक्षों द्वारा निर्धारित नीतियों को पूरी लगन के साथ क्रियान्वित करते हैं, चाहे प्रारम्भिक अवस्थाओं में उन नीतियों से वे असहमत रहें हैं। भारत में भी राजनीतिज्ञों और प्रशासकीय अधिकारियों के बीच सहयोग के सूत्र प्रशंसनीय है।
पिफ्नर ने राजनीतिक और प्रशासनीय अधिकारियों के बीच निम्नलिखित भेद बताये हैं-
राजनीतिक अधिकारी | प्रशासकीय अधिकारी |
1. अव्यवत्तायी | 1. व्यवसायी |
2. अप्राविधिक | 2. प्राविधिक |
3. दलीय | 3. निर्दलीय |
4. अस्थायी | 4. स्थायी |
5. घनिष्ठ सार्वजनिक सम्पर्क | 5. विरल सार्वजनिक सम्पर्क |
6. घनिष्ठ विधायी सम्पर्क | 6. विरल विधायी सम्पर्क |
7. मुख्य नीति-निर्माता | 7. गौण नीति-निर्माता |
8. निर्णय बहुल | 8. परामर्श-बहुल |
9. अधिक समन्वयकारी | 9. अधिक क्रियान्वयन |
10. लोकमत से प्रभावित | 10. अध्ययन और अनुसन्धान के आधार पर एकत्रित प्राविधिक तथ्यों से प्रभावित |
पिफ्नर के विवरण के आधार पर प्रशासकीय और राजनीतिक अधिकारियों के कार्यों की सूचियाँ बनाई जा सकती हैं पर ये कार्य राजनीति और प्रशासन को एक-दूसरे से अलग नहीं करते क्योंकि दोनों के सहयोग से ही इन कार्यों का सम्पादन सम्भव है। राजनीति अधिकारी अथवा मन्त्री चुनावों के दौरान जनता को दिये गये वचनों को पूरा करने के लिए नीतियाँ बनाते हैं और देखते हैं कि उन्हें सही रूप में तेजी से लागू किया जा रहा है। नीतियों के क्रियान्वयन के सिलसिले में वे प्रशासकीय कार्यों में मोटे तौर पर अधीक्षण कर सकते हैं, समस्याजनक प्रशासकीय प्रश्नों पर वे निर्णय ले सकते हैं और उसी प्रकार प्रशासकीय अधिकारियों की नियुक्ति के बारे में भी उनका मत महत्वपूर्ण हो सकता है। उनका यह अधिकार उपेक्षित है कि वे प्रशासकीय विभाग से सम्बन्धित प्रत्येक जानकारी प्राप्त करें और आवश्यक होने पर जाँच भी करा सके। राजनीतिज्ञों को यह भी अधिकार होना चाहिए कि सार्वजनिक और व्यक्तिगत शिकायतों को दूर करने के लिए प्रशासन में हस्तक्षेप कर सकें परन्तु इस सब के बावजूद उनसे यही आशा की जाती है कि वे प्रशासनिक क्षेत्र में यथासम्भव कम से कम हस्तक्षेप करेंगे, अपने अधीनस्थ प्रशासकीय अधिकारियों पर भरोसा रखेगे, आवश्यक होने पर उनसे परामर्श लेंगे और उनके परामर्श को सावधानीपूर्वक विचार करने के बाद स्वीकार करने में संकोच नहीं करेंगे। प्रशासनीय अधिकारियों का भी कर्तव्य है कि वे आवश्यक आँकड़े, सूचनाएँ आदि जुटाकर, प्रस्तावित नीतियों के व्यापक अर्थो, प्रभावों और परिणामों के बारे में विस्तृत विवरण तैयार कर अपने राजनीतिक अध्यक्षों को सहयोग देंगे। वे राजनीतिक अध्यक्षों की नीतियों पर अपने विचार व्यक्त करेंगे लेकिन एक बार स्वीकृत हो जाने के बाद इन नीतियों को ईमानदारी से लागू करेंगे।
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- प्रश्न- 'लोक प्रशासन' के अर्थ और परिभाषाओं की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- लोक प्रशासन की प्रकृति की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- लोक प्रशासन के क्षेत्र पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- लोकतांत्रिक प्रशासन की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- प्रशासन' शब्द का प्रयोग सामान्य रूप से किन प्रमुख अर्थों में किया जाता है?
- प्रश्न- "लोक प्रशासन एक नीति विज्ञान है" यह किन आधारों पर कहा जा सकता है?
- प्रश्न- लोक प्रशासन का महत्व बताइए।
- प्रश्न- प्रशासन के प्रमुख लक्षणों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- लोक प्रशासन के क्षेत्र का 'पोस्डकोर्ब दृष्टिकोण' की व्यख्या कीजिये।
- प्रश्न- लोक प्रशासन को विज्ञान न मानने के क्या कारण हैं?
- प्रश्न- एक अच्छे प्रशासन के गुण बताइए।
- प्रश्न- विकासशील देशों में लोक प्रशासन की चुनौतियाँ बताइये।
- प्रश्न- 'लोक प्रशासन में सैद्धान्तीकरण की बढ़ती प्रवृत्ति', टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- कार्मिक प्रशासन के मूल तत्व क्या हैं?
- प्रश्न- राजनीतिज्ञ एवं प्रशासक के मध्य अन्तर लिखिए।
- प्रश्न- शासन एवम् प्रशासन में अन्तर स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- अनुशासन से क्या तात्पर्य है? लोक प्रशासन में अनुशासन के महत्व को दर्शाइए।
- प्रश्न- भारत में लोक सेवकों के आचरण को अनुशासित बनाने के लिए किए गए प्रावधानों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- लोक सेवकों को अनुशासन में बनाए रखने के लिए उन पर लगाए गए प्रतिबन्धों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- किसी संगठन में अनुशासन के योगदान पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- प्रशासन में अनुशासनहीनता को बढ़ावा देने वाले प्रमुख कारण कौन-कौन से हैं?
- प्रश्न- "अनुशासन में गिरावट लोक प्रशासन के लिए चुनौती" इस कथन पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- लोक प्रशासन से आप क्या समझते हैं? निजी प्रशासन लोक प्रशासन से किस प्रकार भिन्न है?
- प्रश्न- "लोक प्रशासन तथा निजी प्रशासन में अनेकों असमानताएँ होने के बावजूद कुछ ऐसे बिन्दू भी हैं जो उनके बीच समानताएँ प्रदर्शित करते हैं।' कथन का परीक्षण कीजिए।
- प्रश्न- निजी प्रशासन में लोक प्रशासन की अपेक्षा भ्रष्टाचार की सम्भावनाएँ कम है, कैसे?
- प्रश्न- निजी प्रशासन के नकारात्मक पक्षों पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- लोक प्रशासन की तुलना में निजी प्रशासन में राजनीतिकरण की सम्भावनाएँ न्यूनतम हैं, कैसे?-
- प्रश्न- निजी प्रशासन के दो प्रमुख लाभ बताइए।
- प्रश्न- लोक प्रशासन के महत्व पर विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- आधुनिक राज्यों में लोक प्रशासन के विभिन्न रूपों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- विकासशील देशों में लोक प्रशासन की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- संगठन का अर्थ स्पष्ट करते हुए, इसके आधारों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- संगठन के आधारों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- संगठन के प्रकारों को स्पष्ट कीजिए। औपचारिक संगठन की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- औपचारिक संगठन की विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- अनौपचारिक संगठन से आप क्या समझते हैं? इनकी विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- औपचारिक तथा अनौपचारिक संगठन में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- संगठन की समस्याओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- संगठन के यान्त्रिक अथवा शास्त्रीय दृष्टिकोण (उपागम) को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- पदसोपान प्रणाली के गुण व दोष बताते हुए इसका मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- संगठन के आदेश की एकता सिद्धान्त की विस्तृत विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- आदेश की एकता सिद्धान्त के गुण बताते हुए इसकी समालोचनाओं पर भी प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'प्रत्यायोजन' से आप क्या समझते हैं? प्रत्यायोजन को परिभाषित करते हुए इसकी आवश्यकता एवं महत्व को बताइए।
- प्रश्न- प्रत्यायोजन के विभिन्न सिद्धान्तों एवं प्रकारों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- संगठन के सिद्धान्तों के विशेष सन्दर्भ में प्रशासन को लूथर गुलिक एवं लिंडल उर्विक के योगदान की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- लोक प्रशासन के क्षेत्र में एल्टन मेयो द्वारा प्रस्तुत मानव सम्बन्ध उपागम पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- हरबर्ट साइमन के निर्णय निर्माण सम्बन्धी मॉडल की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- हर्बर्ट साइमन के निर्णय निर्माण सिद्धान्त का लोक प्रशासन में महत्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- नौकरशाही का अर्थ बताइये और परिभाषाएँ दीजिए।
- प्रश्न- नौकरशाही की विशेषताएँ अथवा लक्षणों को बताइये।
- प्रश्न- निर्णयन का क्या अर्थ है? प्रशासन में निर्णयन प्रक्रिया का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- हेनरी फेयाफल द्वारा उल्लिखित किये गये संगठन के सिद्धान्तों को बताइए।
- प्रश्न- 'गेंगप्लांक' पर टिप्पणी कीजिये।
- प्रश्न- हरबर्ट साइमन द्वारा 'प्रशासन की कहावत' किन्हें कहा गया है और क्यों?
- प्रश्न- ऐल्टन मेयो को मानव सम्बन्ध उपागम के प्रवर्तकों में शामिल किया जाता है, क्यों?
- प्रश्न- निर्णयन के अवसरों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- निर्णयन के लक्षणों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्रतिबद्ध नौकरशाही की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सूत्र एवं स्टाफ अभिकरण का आशय स्पष्ट कीजिए। सूत्र एवं स्टाफ अभिकरण में अन्तर को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सूत्र या पंक्ति अभिकरण से क्या आशय है एवं सूत्र (लाइन) या पंक्ति अभिकरणों की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्रशासन में स्टाफ अभिकरण के महत्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- स्टाफ अभिकरणों के कार्यों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- स्टाफ अभिकरण के विभिन्न रूपों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सहायक अभिकरण का अर्थ स्पष्ट कीजिए एवं स्टाफ अभिकरण से इनकी भिन्नता पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- मुख्य प्रशासक की प्रशासन में क्या स्थिति है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- बजट से आप क्या समझते हैं? इसे परिभाषित कीजिए। भारत में बजट कैसे तैयार किया जाता है?
- प्रश्न- बजट किसे कहते है? एक स्वस्थ बजट के महत्वपूर्ण सिद्धान्त बताइए।
- प्रश्न- भारत में केन्द्रीय बजट का निर्माण किस प्रकार होता है?
- प्रश्न- वित्त विधेयक पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- वित्त विधेयक के सम्बन्ध में राष्ट्रपति के विशेषाधिकार को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- बजट का महत्व बताइए।
- प्रश्न- भारत में बजट के क्रियान्वयन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- बजट के कार्य बताइये।
- प्रश्न- बजट के प्रकार लिखिए।
- प्रश्न- वित्त आयोग के कार्य बताइए।
- प्रश्न- योजना आयोग का प्रशासनिक ढाँचा क्या है?
- प्रश्न- शून्य आधारित बजट का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- नवीन लोक प्रशासन से आप क्या समझते हैं? नवीन लोक प्रशासन के उदय के कारण बताते हुए इसकी दार्शनिक पृष्ठभूमि का वर्णन कीजिए तथा नवीन लोक प्रशासन एवं दार्शनिक पृष्ठभूमि में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- नवीन लोक प्रशासन के विभिन्न चरणों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- नवीन लोक प्रशासन के लक्ष्य को स्पष्ट करते हुए इसके लक्षणों का परीक्षण कीजिए।
- प्रश्न- नवीन लोक प्रबन्ध के अभ्युदय कैसे हुआ? नवीन लोक प्रबन्ध की मुख्य विशेषताएँ बताते हुए इसके अंतर्गत सरकार की भूमिका में आए बदलावों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- नवीन लोक प्रशासन की भावी सम्भावनाओं को व्यक्त कीजिए।
- प्रश्न- नव लोक प्रशासन का उदय किन परिस्थितियों में हुआ?
- प्रश्न- नवीन लोक प्रशासन के प्रमुख तत्व कौन से हैं?
- प्रश्न- 'नवीन लोक प्रबन्ध' दृष्टिकोण के हानिकारक पक्षों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- नव लोक प्रबन्ध की पारिस्थितिकीय दृष्टिकोण के समर्थक क्या आलोचना करते हैं?
- प्रश्न- नव लोक प्रबन्ध की हरबर्ट साइमन द्वारा प्रस्तुत आलोचना पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्रशासकीय कानून का क्या अर्थ है? प्रशासकीय कानून के विकास के प्रमुख कारण बतलाइए।
- प्रश्न- प्रशासकीय अधिनिर्णय का क्या अर्थ है? इसके विकास के प्रमुख कारणों का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में जन शिकायतों के निस्तारण हेतु ओम्बड्समैन की स्थापना हेतु किए गए प्रयासों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- प्रशासन पर न्यायिक नियन्त्रण से क्या तात्पर्य है? कोई न्यायालय प्रशासन के कार्यों को किस प्रकार अवैध घोषित कर सकता है?
- प्रश्न- भारत में प्रशासन पर न्यायिक नियन्त्रण के विभिन्न साधनों का परीक्षण कीजिए।
- प्रश्न- भारत में प्रशासकीय न्यायाधिकरणों को कितने वर्गों में विभाजित किया गया है?
- प्रश्न- प्रशासकीय न्यायाधिकरणों से क्या लाभ हैं?
- प्रश्न- प्रशासकीय न्यायाधिकरणों की हानियाँ बताइए।
- प्रश्न- लोक प्रशासन के अध्ययन के आधुनिक उपागमों को बताइये तथा व्यवहारवादी उपागमन को सविस्तार समझाइये।
- प्रश्न- लोक प्रशासन के अध्ययन के व्यवस्था उपागम का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- लोक प्रशासन के संरचनात्मक कार्यात्मक उपागम की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- लोक प्रशासन के अध्ययन के पारिस्थितिकी उपागम का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सुशासन से आप का क्या आशय है? सुशासन की विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- भारतीय क्षेत्र में सुशासन स्थापित करने की प्रमुख चुनौतियाँ कौन-कौन सी हैं? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारत में सुशासन की स्थापना हेतु किये गये प्रयासों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- विकास प्रशासन से क्या अभिप्राय है? इसके प्रमुख लक्षणों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- विकास प्रशासन से आप क्या समझते हैं? विकास प्रशासन के विभिन्न सन्दर्भों का उल्लेख करें।
- प्रश्न- विकास प्रशासन की धारणा के उद्भव व विकास को समझाते हुए विकास की विभिन्न रणनीतियों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- विकास प्रशासन के विभिन्न तत्वों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- विकास प्रशासन की प्रकृति एवं साधन बताइए।
- प्रश्न- विकास प्रशासन के सामान्य अभिप्राय के सम्बन्ध में प्रमुख विवादों (भ्रमों) पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- विकासात्मक नीतियों को लागू करने में विकास प्रशासन कहाँ तक उपयोगी है?
- प्रश्न- विकास प्रशासन की प्रमुख समस्याएँ बताइए।
- प्रश्न- विकास प्रशासन के 'स्थानिक आयाम' को समझाइए।
- प्रश्न- विकास प्रशासन की धारणा के विकास के दूसरे चरण में विकास सम्बन्धी कि मान्यताओं का उदय हुआ?
- प्रश्न- विकास प्रशासन के समय अभिमुखी आयाम पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- विकास प्रशासन और प्रशासनिक विकास में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- राजनीतिक और स्थायी कार्यपालिका से आप क्या समझते हैं और उनके मध्य अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय प्रशासन के विकास का विश्लेषणात्मक वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- राजनीति क्या है? मानव सामाजिकता में राजनीतिक भूमिका लिखिए।
- प्रश्न- वर्तमान भारतीय प्रशासन की प्रमुख विशेषताएँ बताइए।